ग़ज़ल
४ दे यार और
दे
यारा और भी दे गम मुझे सहनेकेलिये
काफी
नहीं हैं लहू दिलका गममे तेरे बहनेकेलिये १
दिल
वो मुकाम हैं जहाँ हर कोई भटका अटका
बादमें मिलते हैं बहोत मकान रह्नेकेलिये २
बहोत
कुछ गिराना होगा श्रीधर मोहब्बतकेलिये
सिर्फ
दिमाग काफी नहीं तेरा ढहनेकेलिये ३
बहोत
कुछ भेंज दिया ताकि वो इश्कको समझे
लाशतक
बची नहीं हैं उन्हें कुछ कहनेकेलिये ४
इश्क़
मेरा समझ न आया न आया ना सही
जुनूनमें
दिया डायमंड तेरे काम आया गह्नेकेलिये ५
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