Sunday, December 18, 2016

सूरज तो चौबीस  घंटे आसमानमें हैं
ये पृथ्वी हैं जो चौबीस घंटे उजाला सह नहीं पाती
मुँह मुकरती हैं कभी पीठ मुकरती हैं
मगर पूरीतरहसे अपना बदन मुकर नहीं पाती


सितारोंमे बसनेकी पुरखोंकी औकात होती
तो मरनेके बाद क्यों सितारे बन जाते
जिन्दा थे तभी आसमाँको छू लेते
खाकमें इनकी लाश बिख़र नहीं पाती


सौगुणा अच्छी हैं चांदसे तेरी सूरत
चाँदपे लगे दाग़से अच्छा  हैं तेरा पिम्पल
तू जो हैं जैसी हैं अच्छी हैं तेरेबिना
जिंदगीकी खूबसूरती सँवर नहीं पाती

आसमानके उजालोँको आसमानमे रहने दो
तेरे मेरे बीचमे जो हैं वहीँ सच हैं
उन गोलोंसे अच्छे तेरे सीनेके गोले
जिनके बगैर हमारी बच्ची जिन्दा रह नहीं पाती


आसमाँ के फ़रिश्तोंका इन्तजार न कर
वो मौजूदही नहीं तो आयेंगे कहाँसे
हमारा यहाँ होना एक हादसा हैं सनम
ये सीधीसी बात क्यूँ तू समझ नहीं पाती

श्रीधर तिळवे ''बेवकूफ ''

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